कुतुबुद्दीन ऐबक का इतिहास | भारत का इतिहास
कुतुबुद्दीन ऐबक
कुतुबुद्दीन ऐबक का इतिहास
मुहम्मद गौरी ने 1192 के तराईन के युद्ध के बाद कुतुबुद्दीन ऐबक को भारतीय प्रदेशों का सूबेदार नियुक्त किया ।।
कुतुबुद्दीन ऐबक के माता पिता तुर्की थे।
कुतुबुद्दीन ऐबक का शासन काल 1206 ईस्वी से 1210 ईस्वी तक रहा।
कुतुबुद्दीन ऐबक ने ममलुक वंश की स्थापना की जिसे गुलाम वंश के नाम से भी जाना जाता है।।
दास और ममलुक में अंतर- दास का मतलब जन्मजात दास होता है, जबकि ममलुक का मतलब स्वतंत्र माता पिता से उत्पन्न लेकिन बाद में दास बनाया गया।। अतः हम कह सकते है कि गुलाम वंश के सभी शासक गुलाम नही थे।।
ऐबक दिल्ली का पहला तुर्की शासक था।
1208 ईसवी में गियासुद्दीन महमूद ने उन्हें सुल्तान स्वीकार किया व गुलामी की दासता से मुक्त किया अतः हम कह सकते है कि ऐबक शासक बनने के समय तकनीकी रूप से गुलाम था।
कुतुबुद्दीन ऐबक ने अपने शासन काल मे ना ही तो अपने नाम के सिक्के चलाए ना ही खुत्बा पढ़वाया।।
कुतुबुद्दीन ऐबक ने सुल्तान की उपाधि धारण नही की बल्कि मलिक और सिपहसालार की उपाधि से शासन किया।।
कुतुबुद्दीन के समय लाहौर राजधानी थी।
कुतुबुद्दीन ऐबक ने प्रसिद्ध सूफी संत ‘ ख्वाजा कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी’ की स्मृति में कुतुबमीनार का निर्माण शुरु करवाया लेकिन उसे पूर्ण इल्तुतमिश ने करवाया था।
कुतुबुद्दीन ऐबक बहुत ही सुरीली आवाज में कुरान का वाचन किया करते थे जिस कारण ऐबक को ‘ कुरान खाँ ‘ के नाम से भी जाना जाता है।। इन्हें हामिद द्वितीय के नाम से भी जाना जाता है।
कुतुबुद्दीन ऐबक ने अपनी बेटी का विवाह इल्तुतमिश से किया ।
कुतुबुद्दीन ऐबक के एक अधिकारी मुहम्मद बिन बख्तियार खलजी ने नालंदा विश्वविद्यालय पर आक्रमण किया और हजारों पांडुलिपियां जला दी।।
कुतुबुद्दीन ऐबक ने चौहान सम्राट विग्रहराज चतुर्थ द्वारा निर्मित संस्कृत विद्यालय को तोड़कर ‘अढ़ाई दिन का झौपडा’ का निर्माण करवाया।।
कुतुबुद्दीन ऐबक की मृत्यु 1210 में चौगान(पोलो) खेलते समय घोड़े से गिर जाने के कारण हुई थी।
कुतुबुद्दीन ऐबक के बाद आरामशाह गद्दी पर बैठा। लेकिन वह ज्यादा समय तक शासन नही चला पाया और इल्तुतमिश ने उसे पराजित कर 1211 ईस्वी में गद्दी संभाली।
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