वैदिक सभ्यता से सम्बन्धित महत्वपूर्ण प्रश्न || भारत का इतिहास
वैदिक सभ्यता के प्रश्न
प्रिय पाठकों आज हम वैदिक सभ्यता के बारें में बात करने वाले है, वैदिक सभ्यता से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार से है. वैदिक सभ्यता के प्रश्न
वैदिक सभ्यता का विकास ग्रामीण अर्थव्यवस्था के आधार पर हुआ अतः यह एक ग्रामीण अर्थव्यवस्था थी और सिंधु सभ्यता एक नगरीय व्यवस्था थी।
इस काल की अर्थव्यस्था को प्राक् – शहरी अर्थव्यवस्था नाम दिया जा सकता है क्योंकि यह न तो पूरी तरह ग्रामीण और न ही शहरी थी
ऋग्वैदिक समाज का आधार परिवार था। वैदिक सभ्यता एक पितृसत्तात्मक सभ्यता थी वह सिंधु सभ्यता मातृसत्तात्मक।
आर्य लोगों का विवाह, दास तथा दस्युओं के साथ निषिद्ध था।
सोमरस आर्यों का मुख्य पेय पदार्थ था।
ईरान की धार्मिक किताब ‘जेन्द अवेस्ता‘ में इस बात के संकेत हैं कि आर्य ईरान के रास्ते भारत आए थे।
आरंभ में आर्यों के कुटुंब, कुल या परिवार (गृह) रक्त संबंधों पर आधारित थे जिनका प्रधान कुलप या कुलपति कहलाता था। यह परिवार का मुखिया होता था
अनेक परिवारों को मिलाकर ग्राम बनता था जिनका प्रधान ग्रामणी कहलाता था. अनेक ग्रामों को मिलाकर विश बनता था जिसका प्रधान विशपति होता था
कुटुंब (गृह) सबसे छोटी प्रशासनिक इकाई थी
अनेक विशों का समूह जन या कबीला कहलाता था जिसका प्रधान राजा/राजन या गोप होता था
जनपद, राष्ट्र या राज्य की अवधारणा भी वैदिक काल के उत्तरार्द्ध में स्थापित हुई। शासन का प्रधान राजन हुआ करता था
राज्याभिषेक के अवसर पर ग्रामिणी, रथकार तथा कर्मकार आदि उपस्थित रहते थे। इन्हें ‘रनिन’ कहा गया है।इनमें ग्रामीणी गांव का मुखिया होता था
तकनीकी विकास के दृष्टिकोण से इस काल में लोहे का प्रयोग सर्वाधिक महत्वपूर्ण था और इस युग में लोहे को ‘ कृष्ण – अयस ‘ कहा जाता था
इस समय राजा की पटरानी महिषी कहलाती थी , जो प्रशासनिक कार्यों में राजा की सहायक एवं सलाहकार के रूप में कार्य करती थी।
इस युग में मिट्टी के एक विशेष प्रकार के बर्तन बनाए जाते थे, जिन्हें चित्रित धूसर मृद भांड कहा जाता था
इस काल में प्रजापति (सृष्टि के निर्माता) को सर्वोच्च स्थान प्राप्त हो गया था
पूषन शूदों के देवता के रूप में प्रतिष्ठापित थे।
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