विश्व मलेरिया दिवस | World Malaria Day
विश्व मलेरिया दिवस
विश्व मलेरिया दिवस की स्थापना- पहले विश्व स्वास्थ्य संगठन (World health organization) इस दिन को अफ़्रीका मलेरिया दिवस के तौर पर मनाता था। लेकिन फिर WHO ने इसे दुनिया के बाक़ी हिस्सों में भी लोगो को जागरूक लाने के लिए इसे वैश्विक आयोजन का रूप दिया।
इसकी स्थापना मई 2007 में 60 वे विश्व स्वास्थ्य सभा के सत्र के दौरान की गई। पहली बार विश्व मलेरिया दिवस 25 अप्रैल 2008 को मनाया गया था।
विश्व मलेरिया दिवस मनाने का उद्देश्य
यूनिसेफ (UNICEF) के द्वारा इस दिन को मनाने का उद्देश्य मलेरिया जैसे रोग पर जनता का ध्यान केंद्रित कर लोगो को जागरूक करना है मेलरिया जैसे रोग से हर वर्ष लाखों लोग अपनी जान गवांते है। आज के दिन हमें बताया जाता है कि मलेरिया के नियंत्रण हेतु किस प्रकार के वैश्विक प्रयास किए जा रहे हैं। मच्छरों के कारण फैलने वाली इस बीमारी में हर साल कई लाख लोग जान गवाँ देते हैं। ‘प्रोटोजुअन प्लाज्मोडियम’ नामक कीटाणु मादा एनोफिलीज मच्छर के माध्यम से यह बीमारी फैलती है।पूरे विश्व की 3.3 अरब जनसंख्या में लगभग 106 से देश हैं जिनमें मलेरिया का खतरा है वर्ष 2012 में मलेरिया के कारण लगभग 6,27,000 मृत्यु हुई जिनमें से अधिकतर अफ्रीकी, एशियाई, लैटिन अमेरिकी बच्चे शामिल है
वर्ष 2019 की रिपोर्ट
विषय – Zero malaria starts with me
world Health Organization ने यह रिपोर्ट 4 दिसंबर 2019 को जारी की थी। रिपोर्ट के अनुसार विश्व भर में कुल 228 मिलियन मलेरिया के मामले सामने आए हैं।
सबसे ज्यादा प्रभावित देश
World Health organization ने 2019 की रिपोर्ट में सबसे ज्यादा प्रभावित देश
नाइजीरिया- 24%
कांगो- 11%
तंजानिया – 5%
अंगोला – 4%
मोजाम्बिक -4%
नाइजर – 4%)
इस रिपोर्ट में बताया गया कि वर्ष 2018 में 60% मौतें 0-5 वर्ष आयु वर्ग में हुई है। भारत ने साल 2016 और साल 2017 की अवधि में मलेरिया के मामलों में 24 फीसदी की कमी दर्ज की।
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