क्रिप्स मिशन : 1942 || आधुनिक भारत का इतिहास
क्रिप्स मिशन : 1942
द्वितीय विश्व युद्ध के समय मित्र राष्ट्रों की स्थिति प्रारंभ से संकटपूर्ण हो गई थी, जर्मनी और जापान युद्व में सफलता प्राप्त कर उत्तरोत्तर आगे बढ़ रहे थे इंगलैंड के प्रधानमंत्री चर्चिल ने स्वयं कह था कि–“ पूर्वी एशिया में जापान में भयंकर आक्रमण तथा ब्रिटेन और अमेरिका के जहाजी बेड़ो के समुद्री तट पर पीछे हट जाने से सिंगापुर के आत्मसमर्पण और अन्य कई परिस्थितियों के कारण जापानी आतंक से भारत की सुरक्षा की संभावना संकटग्रस्त हो गई है बंगाल की खाड़ी पर से हमारा प्रभुत्व समाप्त हो गया और बहुत कुछ हिंद महासागर से भी ” उस समय यह संभावना हो गई थी कि बंगाल और मद्रास के प्रांत भी जापानी आक्रमण के शिकार बनेंगे चर्चिल ने यह भी बतलाया था कि “ हमे स्मरण रखना चाहिए कि भारत ही एक ऐसा शक्तिशाली आधार है जहां से हम जापान के अत्याचार और आक्रमण के विरुद्ध शक्तिशाली चोट कर सकते है “।
भारतीय समस्या की ओर इंग्लैंड के कुछ व्यक्तियों ने सरकार का ध्यान आकृष्ट करने की चेष्टा की और उसका समुचित निदान ढूंढने पर दिया अतः फरवरी , 1942 में ब्रिटेन की लोकसभा में इस संबंध में दिलचस्प वाद–विवाद हुआ और इस वाद के पश्चात क्रिप्स योजना तैयार करना आवश्यक हो गया। सुभाष चन्द्र बोस ने जापान जाकर रासबिहारी बोस के सहयोग से आजाद हिन्द फौज का गठन किया सैनिकों के मध्य भारत को स्वतंत्रता की प्रवृति जग चुकी थी इस से ब्रिटिश सरकार की चिंता बढ़ी और उसने क्रिप्स को भारत भेजने का निश्चय किया।
क्रिप्स मिशन योजना क्या थी?
भारत का समर्थन हासिल करने के मकसद से ब्रिटेन ने क्रिप्स मिशन का दांव खेला और सर स्टैफोर्ड क्रिप्स को मार्च 1942 को भारत भेजा गया। क्रिप्स मिशन ने बकायदा एक योजना तैयार की इसके जरिए ब्रिटेन सरकार भारत को पूर्ण स्वतंत्रता नही देना चाहती थी। ब्रिटेन सरकार भारत को सिर्फ डोमिनियन स्टेट्स का दर्जा देना चाहती थी और इसके लिए भी कोई समय सीमा निश्चित नही थी वो भारत की सुरक्षा अपने हाथों में ही रखना चाहती थी और साथ ही गवर्नर जनरल के वीटो अधिकारों को भी पहले की तरह की पक्ष में रखना चाहती थी। कांग्रेस समेत भारत के सभी राजनैतिक दलों ने क्रिप्स मिशन के सभी प्रस्तावों को खारिज कर दिया। महात्मा गांधी ने प्रस्तावों पर टिप्पणी करते हुए कहा की “ यह आगे की तारीख का चैक था जिसका बैंक नष्ट होने वाला था ” क्रिप्स मिशन से भारतीय नेताओं को निराशा हाथ लगी उन्हें समझ आ गया की ब्रिटिश सरकार द्वारा उनको छला गया है।
क्रिप्स प्रस्ताव के मुख्य प्रावधान
1.भारत को डोमिनियन स्टेट्स का दर्जा और एक भारतीय संघ की स्थापना। यह संघ विदेश नीति के मामले में स्वतंत्र होगा।
2. युद्ध समाप्ति के पश्चात नए संविधान के निर्माण हेतु संविधान निर्मात्री परिषद का गठन जिसमे ब्रिटिश भारत व देशी रियासतों के प्रतिनिधि शामिल होंगे।
3. ब्रिटिश सरकार नए संविधान को निम्न शर्तों पर स्वीकार करेगी–
• जो प्रांत भारतीय संघ में शामिल नही होना चाहते वे पृथक संविधान बना सकते है।देशी रियासतों को भी भारतीय संघ से अलग होने व पृथक संविधान बनाए का अधिकार होगा।
• अल्पसंख्यकों के हितों की रक्षा हेतु प्रावधान।
क्रिप्स प्रस्ताव क्या थे कांग्रेस ने उन्हें क्यों अस्वीकार कर दिया?
क्रिप्स मिशन की कांग्रेस ,मुस्लिम लीग व अन्य दलों ने अलग अलग कारणों से आलोचना की। कांग्रेस ने क्रिप्स प्रस्तावों का विरोध किया क्योंकि इसमें पूर्ण स्वतंत्रता के स्थान पर डोममिनियन स्टेट्स तक बरकरार रखना प्रस्तावित था। कांग्रेस ने जवाहर लाल नेहरू एवं मौलाना अबुल कलाम आज़ाद को क्रिप्स मिशन पर विचार करने के लिय अधिकृत किया । कांग्रेस ने इसे ठुकरा दिया, गांधीजी ने इस प्रस्ताव की घोर आलोचना की एवं कहा की यह एक प्रकार का धोखा मात्र है जिसकी कीमत ब्रिटिश सरकार को जल्द चुकानी पड़ेगी।
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