ए.पी.जे. अब्दुल कलाम की जीवनी
ए.पी.जे. अब्दुल कलाम
हमारे देश के अद्भुत मिसाइल मेन श्री अबुल पाकिर जैनुलअब्दीन अब्दुल कलाम जी के जीवन की उपलब्धियों के बारे में आपके लिए जानना जरूरी है. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम
जेनुलाबदीन, रामेश्वरम कस्बे में एक मध्यवर्गीय परिवार के मुखिया थे. उनका बेटा अब्दुल बड़ा ही प्रतिभाशली लड़का था. उनका जन्म 15 अक्टूबर 1931 हो हुआ था उस होनहार बालक का नाम अबुल पाकिर जैनुलअब्दीन अब्दुल कलाम था.
बचपन से ही इनकी रूचि विज्ञान विषय में रही. उनके पिता ने कहाँ बेटा अब्दुल सभी तुम्हारी प्रतिभा की बड़ी तारीफ़ करते है. मैं बहुत खुशनसीब हूँ. बेटा हमेशा याद रखना परेशानियाँ हमें आत्म विश्लेषण का मोका देती है. इसलिए उनसे घबराना नहीं, उनका डटकर मुकाबला करना. “जी पिताजी” मैं हमेशा आपकी बात याद रखूँगा और आपको भविष्य में कुछ बनकर दिखाऊंगा. अपने सपनों को साकार करने के लिए अब्दुल इंजीनियरिंग मे दाखिला लेना चाहते थे.
वे मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी एम्.आई.टी. में दाखिले का प्रयास करने लगे. एक दिन बहन जोहरा के घर अब्दुल कुछ सोच में बैठे थे. बहन ने पूछा अब्दुल तुम्हारी पढाई कैसी चल रही है? क्या करना है, कुछ सोचा है? क्या हुआ, इस तरह उदास क्यों बैठे हो?
अब्दुल ने जवाब दिया, मेरा सपना इंजीनियरिंग कौलेज में पढाई कर कुछ दिखाने का है. दाखिले के लिए चुने गए लड़कों में मेरा नाम भी है. पढाई इतनी खर्चीली है कि पिताजी के पास इतने रुपए होने के बारे में सोच भी नहीं सकता. बहन ने कहा, अबु ! मुझे तुम्हारी प्रतिभा पर पूरा यकीन है.
फ़ीस की चिंता मत करो. बस मन लगाकर पढ़ने की तैयारी करो. तुम्हारी बहन है ना, जोहरा ने अपने जेवर बेचकर फ़ीस का इंतजाम किया और अब्दुल ने भी इस त्याग का पूरा मान रखते हुए पाने लक्ष्य की तरफ कदम बढ़ाना शुरू कर दिया.
पढाई का एक वर्ष पूरा करने के बाद अब्दुल ने एरानाँटिकल विषय को चुना इस दौरान उन्हें विषय विशेषज्ञ का भरपूर सहयोग और मार्ग दर्शन मिला. इस प्रेरणा से अब्दुल भी विषय में गंभीरता से डूबता गए. उनके शिक्षको ने कहा अब्दुल हम सभी तुम्हारी मेहनत और लगन से बहुत खुश है. अब तुम्हे एक बहुत खास काम सौपा जायेगा.
तुम्हे लड़ाकू विमान का डिजाइन तैयार करना है. काम को भी पूरी मेहनत के साथ करना. अब्दुल पुरे मनोयोग से विमान की डिजाइन तैयार करने में जुट गए. उनका काम थोडा धीमा चल रहा था. जिससे उनके प्रोफेसर उन पर नाराज होते हुए भड़क गए.
उन्होंने कहाँ “अब्दुल यह क्या है?” तुम्हारा काम निराशाजनक है अगर तुमने तीन दिन के अन्दर यह काम पूरा नहीं किया तो तुम्हारी छात्रवृत्ति रोक दी जाएगी. अब्दुल ने सोचा – अब एक माह का काम मुझे तीन दिन में करना ही होगा.
अगर छात्रवृत्ति रुक गई तो मुसीबत हो जाएगी. वह दिन रात अपने काम में जुट गए. तीसरे दिन उनका काम होने ही वाला था कि प्रोफ़ेसर आ गए. जिन्होंने उन्हें डाटा था, “वे बोले – अब्दुल, तुम वाकई तारीफ़ के काबिल हो.”
मुझे पता था की तुम्हारे अन्दर तनाव पैदा हो रहा है और तनाव के बाद भी तुमने यह काम कम समय में पूरा करके कमाल कर दिया. कई बार उन्हें असफलताओं का स्वाद भी चखना पड़ा और निराशाएँ भी उनके जीवन में आई.
एक बार वायु सेना में नौकरी पाने में वे चुके थे. लेकिन पिता की बातों को याद करते हुए वे आगे बड़ते गए. निराशा में भी आशा को नहीं छोड़ा उन्होंने. कई बड़े बड़े उपग्रहों के प्रक्षेपण कार्यक्रमों को आगे बढ़ाया आज हम उन्हें मिसाइल मेन के नाम से अच्छी तरह से जानते है.
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