1853 का चार्टर अधिनियम || आधुनिक भारत

1853 का चार्टर अधिनियम

ब्रिटिश संसद द्वारा 1853 के चार्टर अधिनियम भारतीय चार्टर अधिनियमों की श्रेणी में एक नवीन अधिनियम था। इस चार्टर में कार्यपालिका तथा विधायी शक्तियों को सर्वप्रथम पृथक किया गया। सम्पूर्ण भारत में पहली बार एक पृथक विधान परिषद की स्थापना की गई। 1853 के चार्टर अधिनियम के गठन के लिए दो मुख्य कारण राजा राममोहन राय की इंग्लैंड यात्रा और मद्रास नेटिव एसोशिएशन की याचिकाएं थी।

विधान परिषद में कुल 12 सदस्य होते थे जो इस प्रकार थे–
1. गवर्नर जनरल
2. मुख्य सेनापति
3. गवर्नर जनरल की कार्यकारिणी के चार सदस्य
4. व्यवस्था संबंधी छह सदस्य।

इन 6 सदस्यों में चार प्रांतों के प्रतिनिधि क्षेत्रीय प्रतिनिधि के सिद्धान्त पर एवं दो न्यायाधीश थे। विधि सदस्य को गवर्नर जनरल की कार्यकारिणी का पूर्ण सदस्य बना दिया गया। विधान परिषद में वाद विवाद मौखिक होते थे व परिषद का कार्य गोपनीय नही बल्कि सार्वजनिक होता था। इस अधिनियम द्वारा प्रथम बार केंद्रीय विधान परिषद में स्थानीय प्रतिनिधित्व पेश किया।

1853 के चार्टर अधिनियम की पृष्ठभूमि

भारतीय इतिहास में यह माना गया की 1833 के चार्टर अधिनियम के तहत मौजूदा विधायी प्रणाली पूर्ण रूप से पर्याप्त नहीं थी इसके अतिरिक्त 1833 में अधिनियम के बाद में क्षेत्रीय और राजनीतिक परिवर्तन हुए। ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने पहले ही सिंध और पंजाब और कई अन्य भारतीय राज्यों को पृथक कर दिया था। तत्पश्चात धीरे धीरे साथ के विकेंद्रीकरण और प्रशासन में भारतीय लोगो को हिस्सेदारी देने की मांग उठने लगी यह इन परिस्थितियों में था कि ब्रिटिश संसद में ईस्ट इंडिया कम्पनी के चार्टर को वर्ष 1853 में नवीनीकृत करने का प्रस्ताव रखा।
कंपनियों मामलों के निपटान के लिए पहले के वर्षों में कंपनी ने दो समितियां नियुक्त की, उनकी रिपोर्टों के आधार पर वर्ष 1853 के चार्टर अधिनियम को पारित किया गया। पूर्व चार्टर अधिनियमों के विपरीत बीस वर्षों के लिए चार्टर को नवीनीकृत किया गया। 1853 के चार्टर अधिनियम को पारित किया गया तब लॉर्ड डलहौजी भारत के गवर्नर जनरल थे।

1853 के चार्टर अधिनियम का उद्देश्य

1853 के चार्टर अधिनियम ने कंपनी की शक्तियों को नवीनीकृत किया और ब्रिटिश ताज के लिए ट्रस्ट में भारतीय क्षेत्रों के महत्वपूर्ण क्षेत्रों और राजस्व को बनाए रखने की अनुमति दी हालांकि इस अधिनियम ने वाणिज्यिक विशेषाधिकारों प्रदान करने के लिए समय सीमा तय नही की।

Current Affairs और GK पढने के लिए Application download करें Click here

 

1853 के चार्टर अधिनियम की विशेषताएं

1. इस अधिनियम द्वारा शासन की संसदीय प्रणाली जैसे कार्यपालिका और विधान परिषद के विचारों को प्रस्तुत किया गया जिसमें विधानपरिषद ब्रिटिश संसदीय मॉडल के अनुसार कार्य करती थी।
2. इसमें नियंत्रण बोर्ड के सदस्यों की संख्या 24 से 18 कर दी जिसमें से 6 सदस्य नामनिर्देशित होते थे।
3.इस अधिनियम ने ईस्ट इंडिया कंपनी के शासन को अनिश्चित काल के लिए नवीनीकृत किया।
4. इस अधिनियम में भारतीय सिविल सेवा के सदस्यों की नियुक्ति खुली प्रतिस्पर्धा द्वारा करने का प्रावधान भी शामिल था। मैकाले को समिति का अध्यक्ष बनाया गया था।
5. सर्वप्रथम इसी समिति द्वारा गवर्नर जनरल की परिषद के कार्यपालिका व विधायी कार्यों को अलग किया गया।

भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम 1947

अंतरिम सरकार का गठन कब हुआ ?

लॉर्ड माउंटबेटन योजना : 1947

कैबिनेट मिशन योजना क्या थी

सुभाष चन्द्र बोस और आजाद हिन्द फौज

tags-
1858 का चार्टर अधिनियम, भारत के प्रमुख अधिनियम, 1813 का चार्टर एक्ट, 1833 का चार्टर एक्ट क्या है, 1793 का चार्टर एक्ट, भारत का संवैधानिक इतिहास PDF, भारत का संवैधानिक विकास PDF, चार्टर एक्ट 1858,

 

Lokesh Tanwar

अभी कुछ ख़ास है नहीं लिखने के लिए, पर एक दिन जरुर होगा....

One thought on “1853 का चार्टर अधिनियम || आधुनिक भारत

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *