ONE NATION ONE ELECTION II एक राष्ट्र एक चुनाव

ONE NATION ONE ELECTION II एक राष्ट्र एक चुनाव

यह किस बात पर जोर दे रहा है कि भारतीय चुनाव चक्र में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ समन्वयित होते हैं (election to local bodies, Panchayat and municipalities) 

 

Historical background यह कोई नई अवधारणा नहीं है जो पहले से 1952 ,1957, 1962 , 1967  अर्थात 1952 -57-62-67-72-77-82-87-92-97-2002 ऐसे ही प्रणाली चलनी चाहिए थी लेकिन यह कंटिन्यूटी नहीं बन पाई तो इस समस्या का निवारण करने के लिए इस गवर्नमेंट ने वन नेशन वन इलेक्शन का कॉन्सेप्ट लाया जा रहा है तो हम जानते हैं की समस्या कहां से आई लोकसभा के पहले चार इलेक्शन 1952- 57- 62- 67 अपने टाइम पर चले अपने टाइम पर चले
लेकिन 1967 के बाद कांग्रेस पार्टी में दो spilt आए एक CR इसको इंदिरा गांधी लीड कर रही थी और CO इसको मोरारजी देसाई लीड कर रहे थे यह split होने का कारण p भारत के पूरे दो प्रधानमंत्री की मृत्यु हो गई थी (जवाहरलाल नेहरू व लाल बहादुर शास्त्री ) और आगे चलकर pसरकार इंदिरा गांधी की बनी और 1971 तक आते-आते उनको लगा कि सरकार पार्टी मतभेद के कारण सरकार सत्ता में नहीं रह सकती और आनेवाले इलेक्शन सरकार रिपीट नहीं होगी तो इंदिरा गांधी ने 1971 में राष्ट्रपति को (pm will power) कहा कि अभी इलेक्शनकरवा दीजिए तो पहले गैप तो यहीं पर आ गया और 19011 और 76 सरकार चलानी चाहिए परंतु 1976 के चरण में भारत में इमरजेंसी का कार्यकाल था तो चुनाव आयोग ने इमरजेंसी में इलेक्शन करने से मना कर दिया तो इंदिरा गांधी जी ने संविधान में संशोधन किया कि इमरजेंसी में लोकसभा का कार्यकाल 1 साल तक बड़ा सकते हैं और हुआ भी ऐसा- 1977 मैं इलेक्शन होना था इसमें इंदिरा गांधी जी की नेगेटिव इमेज के कारण सरकार जोदूसरा वर्ग मोरारजी देसाई ने बाजी मार ली सरकार 1977 में बनी लेकिन मोरारजी देसाई की सरकार 2 साल ही चली वह कारण बना कि उन्होंने लोकसभा में मेजोरिटी खो दी |अर्थात 1980 से 85 तक चलनी थी तो 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या हो गई और एक फिर से गैप आया 1984 में आया , 1984 में राजीव गांधी ने अपनी सरकार बनाई है और यह 1984 से 89 तक चली थी लेकिन इलेक्शन कैंपेनिंग में राजीव गांधी जी का अटैक में हत्या हो जाती है 1990 में बीपी सिंह की सरकार बनी लेकिन यह अगला गैप लेकिन अगला गैप आया 1991 में वीपी सिंह की सरकार ने मेजोरिटी के कारण सत्ता नहीं रही |

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अगली सरकार नरसिम्हा राव की सरकार चली 1996 तक और अगली 1996 में कोई भी सरकार के द्वारा बहुमत नहीं था पहले सरकार अटल वाजपेई द्वारा 13 दिन की बनी दूसरी सरकार देवघर जी ने बनाई और तीसरी सरकार ए के गुजराल जी के द्वारा सरकार बनाई गई जो की 2 साल में तीन सरकारों द्वारा मेजोरिटी के कारण नहीं चल पाई |
1998 में अटल वाजपेई के द्वारा 13 महीना की सरकार रही थी और इस सरकार के खिलाफ अविश्वास मौसम प्रस्तुत किया गया जाता है तो एक वोट के कारण यह यह सरकार हट जाती है |

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इसके बाद 1999 में इलेक्शन हुए तो फिर अटल वाजपेई ने सरकार बनाई और इसके बाद अब तक सरकार का कार्यकाल या लोकसभा का कार्यकाल अपने समय से चल रहा है और मैं 2024 में इलेक्शन होने जा रहे तो 2019 तक रहेंगे
मुख्य कारण जो समस्या 1968 से 1999 तक रही की सरकारों के पास मेजोरिटी नहीं होने के कारण सरकार गिर गई और इस समस्या को सबसे पहले बार 1985 में ध्यान दिया गया इसको रोकने के लिए वह एक नियम ले और इस नियम को एंटी डिफेक्शन लॉ नाम दिया गया |
Anti defaction law 1985 – जब एक अपने क्षेत्र से खड़ा होता है तो वह अपने साथ-साथ पार्टी को यह भी वोट करने के लिए जाता है और किसी पार्टी से लोकसभा में आता है वह लोकसभा में पार्टी चेंज करेगा तो एंटी डिफेक्शन लॉ 1985 के तहत हाउस से डिसक्वालीफाई कर दिया जाएगा लेकिन एक बात 1/3 मेंबर अपनी पार्टी को छोड़कर दूसरी पार्टी में जाते हैं तो फिर उसको हाउस से डिसक्वालीफाई नहीं किया जा सकता और यह इसका मुख्य लूप पॉइंट था इस एंटी डिफेक्शन लॉ 1985 का |
इसमें संशोधन किया गया 2003 में और 1/3 मेंबर छोड़ेंगे तो तुरंत उनको हाउस से डिसक्वालीफाई किया जाएगा लेकिन 2/3 मेंबर पार्टी को छोड़ेंगे तो उनको कंसीडर किया जाएगा और लोकसभा से डिसक्वालिफाइड नहीं किया जाएगा तो वन नेशन वन इलेक्शन ले भी आते हैं तो हमारे पास एंटी डिफेक्शन लॉ जैसे कानून है वह कारण जो मेजोरिटी होने की वजह से सरकार गिर रही थी तो उसका तो यह रोक लगा देगा यह नियम |
अब हम SLA( state legislative assembly) यह भी 1952 से 57 7 लोकसभा और स्टेट लेजिस्लेटिव असेंबली समान समय पर 1959 में यह पाया इसके बाद 1977 में सेकंड गैप आया इसमें जो स्टेट में इलेक्शन के पहले ही सरकार गिरा दी और यह सब मेजोरिटी के कारण सरकारी गिरी तो इलेक्शन में भी लागू हुई संतरा 1967 में जाकिर हुसैन की ऑफिस में डेथ हुई और पहले डिस सिंक्रनाइजेशन लड़ना था तो यह उपराष्ट्रपति में भी से सिचुएशन क्रिएट हुई तो 1974 में फखरुद्दीन अली अहमद राष्ट्रपति थे 1977 में ऑफिस में डेथ होती है अब तक वापस यह sink में हो गया था

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भारतीय प्रेसिडेंट नॉमिनल हेड है आर्टिकल 74 के तहत यह संविधान के तहत ऐड और एडवाइस ले सकते हैं और यह पीएमओ के एडवाइस पर लागू नहीं हो तो आर्टिकल 61 के तहत उनको अपने पद से ऑफिस से हटा दिया जाएगा उनके लिए impechm वार्ड दिया हैं
सुप्रीम कोर्ट ने 1994 में से मुंबई केस के तहत COM राष्ट्रपति को क्या एडवाइज और दी जाएगी तो कोर्ट इसमें स्टेट नहीं खरीदेगा कोर्ट के अंदर आता है कि COM अपने राष्ट्रपति रिपोर्ट के तरह इस स्टेट की राज्य सरकार पर भी उनके पीछे क्या होगा फैक्स और यह फैक्स के तहत वह रेलीवेंट है या नहीं उन पर कोर्ट एक्सप्लोर कर सकते हैं और और फैक्स और कारण वैलिड नहीं हुई तो तुरंत उसको राष्ट्रपति नियम को सुप्रीम कोर्ट द्वारा हटा भी जा सकता हैं
अर्थात कमेटी के द्वारा वन नेशन वन इलेक्शन दो स्टेज में लाया जाएगा एक लोकसभा और स्टेट लेजिसलेटिव असेंबली उनको sync कर जाएगा आर्टिकल 368 में संशोधन किया जाएगा
दूसरा लोकसभा राज्य विधानसभा और पंचायत और नगर निगम के इलेक्शन में 100 दिन के अंदर लोकसभा और राज्य विधानसभा के चुनाव के बाद 100 दिन में पंचायत और नगर निगम के चुनाव करवा दिए जाएंगे और यह आर्टिकल 368 और रोटेशन हाफ स्टेट की जरूरत पड़ेगी
लोकसभा और राज्य विधानसभा पंचायत और नगर निगम साथ में करवाना एक बड़ा चैलेंज है
इस कमेटी ने इस कमेटी ने बोल तो दिया कि वन नेशनल वन इलेक्शन लेंगे एक कारण मेजॉरिटी दूसरा प्रेसिडेंट रूल्स पर कंट्रोल किया जाएगा लेकिन circumstan इसमें सरकार समय से पहले गिर सकती है
one nation one election यह सिचुएशन चाहे तो प्रावधान यह है कि जैसे की 2024 से 2019 तक लोकसभा का कार्यकाल है अगर 2026 में सरकार गिर जाती है तो डिफेक्शन सरकार का कार्यकाल 2026 से 2029 तक रहेगा यह पहला प्रावधान इस वन नेशन वन इलेक्शन में लाया गया और स्टेट में भी से नियम लागू होगा
वन नेशन वन इलेक्शन को आना चाहिए या नहीं इसमें इलेक्शन कमीशन ने 1983 में इसे पॉजिटिव नोट दिया नीति आयोग ने 2016 में इसको यश कहा को कमीशन ऑफ इंडिया ने इसको 1999 में हामी भरी और चीफ इलेक्शन कमिश्नर सुशील चंद्रा ने बताया कि अगर वन नेशन वन इलेक्शन लागू किया जाए तो हम फुली प्रिपेयर्ड हैं और कैपेबल है कि इसको पूरे इंडिया में एक साथ कंडक्ट किया जाए तो हम करवा सकते हैं
पॉजिटिव की बात कर तो इससे इलेक्शन कास्ट कम होगी वाटर डिफ्लेक्शन नहीं होगा mode code of conduct इंपैक्ट फुल गवर्नेंस रहेगी इलेक्शन polarizing event रहेगा तो वन नेशन वन इलेक्शन आना चाहिए आपके हिसाब से इसको भारत में लागू करना चाहिए या नहीं

 

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