Tata Sons Sells TCS shares over 2crore
Tata Sons Sells TCS shares over 2crore
टाटा संस ने 9000 करोड़ रुपये में टीसीएस के 2 करोड़ से अधिक शेयर बेचे, ब्लॉक डील में स्टॉक 3% गिरा
पहले तो समझी कि टाटा ग्रुप और टाटा संस एंड टीसीएस क्या टाटा साइंस की बात करें तो टाटा ट्रस्ट के द्वारा मैनेज किए जाते हैं इसका फॉर्मेशन 1917 यानी की 107 साल पहले हुआ मैं बनाया गया | इसका हेड क्वार्टर मुंबई हाउस यानी मुंबई लोकेटेड है, इसमें टाटा फैमिली में रिलेटेड और अभी रतन टाटा है इसके पहले JRD tata थे इसकी टाटा ग्रुप इसमें 29 लिस्टेड कंपनी है टाटा ग्रुप का फॉर्मेशन 1868 यानी 156 साल पहले हुआ हेड क्वार्टर मुंबई में है इसमें key people रतन टाटा जी और एमडी नटराजन चंद्रशेखरन और टाटा ग्रुप की सबसे बड़ी कंपनी टीसीएस है इसका फॉर्मेशन 1968 में किया और टीसीएस कंपनी में 72% stock holding TATA sons के पास है |
तो अब जानते हैं कि टाटा संस ने अपने शेयर क्यों बेचें?
तो टाटा संस ने अपने स्टॉक होल्डिंग शेयर में 2.02 करोड़ शेयर भेज दिए हैं इसकी वैल्यूएशन 9000 करोड़ के आसपास है इससे टीसीएस का शेर प्राइस 3.65% में गिरावट आई है |
टाटा साइंस की प्लानिंग है कि टाटा संस की प्लानिंग है कि 2.34 करोड़ शेयर भेजेंगे बेचेंगे इसकी मिनिमम प्राइस पर शेयर 4001 प्राइस रहेगी जिसमें 2.02 करोड़ शेयरऑलरेडी सेल कर दिए |
और बड़ी कंपनी के द्वारा ऐसे ब्लॉक डील की जाती है तो अचानक उसके शेयर प्राइस में गिरावट देखने को मिलती है और यदि किसी गिरावट के कारण खरीदने की डिमांड बढ़ेगी तो उसमें वापस उछाल देखने को मिलता है |
प्रश्न यह है कि टाटा संस ने इतने बड़े मार्जिन शेयर को सेल क्यों किया लेकिन इसको लेकर कोई ऑफिशल स्टेटमेंट तो नहीं दिया है परंतु अनुमानित facts तो यह है कि-
एक तो यह बताया जा रहा है कि टाटा संस का बहुत कर्ज है एक कारण तो यह है कि अपने कर्ज को कम करना चाह रहे हैं |
लेकिन इससे भी बड़ा कारण यह है कि शेयर मार्केट एनालिसिस यह की टाटा संस का आईपीओ (IPO)जल्द आ सकता है आईपीओ का मतलब यह है कि कोई कंपनी लिस्टेड नहीं है तो वह पहली बार लिस्टेड करती है तो IPO लेकर आती है टाटा संस्था पर काफी दबाव है कि आरबीआई के द्वारा अर्थात इतना दबाव है टाटा संस का एक प्रकार एनबीएफसी कंपनी है इनको आरबीआई NBFC(non-banking finance companies) का लाइसेंस दे रखा है एनबीएफसी कई प्रकार के होते हैं जैसे कि अप्पर लेयर मिडिल लेयर और लोअर लेयर इस तरह से होता है |
सितंबर 2022 में आरबीआई ने तटसंस को अप्पर लेयर एनबीएफसी डिक्लेयर किया कर दिया गया था और अकॉर्डिंग टू आरबीआई रूल्स 3 साल के अंदर कंपनी को आईपीओ लाना अनिवार्य होगा |
टाटा संस को 2025 में 3 साल कंप्लीट हो रहे है तो यहां पर टाटा संस ने आईपीओ से बचने के लिए यानी कि टाटा संस को अपना आईपीओ ना लाना पड़े उसके लिए टाटा सच में लीगल और फाइनेंशली एक्सपर्ट से बातचीत कर रहे हैं और आरबीआई ने तटसंस को exemptions देने से मन कर दिया है|
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तो टाटा संस के ऊपर 20000 करोड़ से ज्यादा का कर्ज है और यह कर्ज टाटा सन 100 करोड़ से नीचे लेकर आते हैं तो शायद इनको आईपीओ लाने की जरूरत नहीं होगी और आरबीआई का रेगुलेटरी एमबीटी से बाहर हो जाए और आईपीओ लाना ना पड़े शायद वह यह शेयर को सेल करके वह IPO नहीं लाना पड़ेगा और आरबीआई के गाइडलाइन से बाहर होंगे और शेयर को सेल करने का यह मुख्य कारण है|
लेकिन टाटा सन में मेजोरिटी होल्डिंग दोराबजी टाटा ट्रस्ट (28%) , Ratan Tata trust (24%) और अन्य भी है जिसे टाटा मोटर्स टाटा केमिकल एंड टाटा पावर टाटा ग्रुप देश की सबसे बड़ा ग्रुप है जो की 30 लाख करोड़ से भी ज्यादा का वैल्यूएशन रखता है और पूरे टाटा ग्रुप में टीसीएस का आधा वैल्यूएशन और पूरे टाटा ग्रुप में TCS अकेला अकेला आधा वैल्यूएशन रखता है यानी की 15 लाख करोड़ आदि |
और अगर टाटा संस का आईपीओ ए भी जाता है तो यह अनुमान है कि इंडिया का सबसे बड़ा आईपीओ होगा अभी तक LIC ( life insurance corporation ) का आईपीओ आया था जो की 21000 करोड़ का था |
अर्थात टाटा संस के द्वारा इतनी बड़ी डील से शेयर बेच रहे हैं तो हो सकता है कि आईपीओ से बचने के लिए शेयर को बेचा जा रहा है |
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