भारत की प्रमुख झीलें
झील क्या होती है ?
झील जल का वह स्थिर भाग होता है, जो चारों तरफ से स्थल से घिरा हुआ होता है. झीलें पर्वतों पर भी मिलती है, पठार और मैदानों में भी होती है, और समुद्र तल से नीचे भी होती है.
झीले बनती है. विकसित होती है. और तलछट से भरकर दलदल में बदल जाती है. झीलों का अस्तित्व स्थाई नहीं होता है. झीलों का महत्त्व यह है कि ये जलवायु को सुहाना बनाती है, बाढ़ की सम्भावना को कम करती है, और मछलियाँ पालने में मदद करती है.
चलिए देखते है, कि भारत में झीले किस किस प्रकार से बनी है. और उनकी विशेषताएं क्या है.
विवर्तनिक झीलें –
– ये झीले पृथ्वी के भीतर की हलचल से बनती है. जैसे कि झेलम नदी पर बनी ‘वूलर झील’ विवर्तनिक झील है. यह भारत में मीठे पानी की सबसे बड़ी झील है. तुलबुल परियोजना इसी झील पर स्थित है.
- ज्वालामुखी झील – ये झीले ज्वालामुखी के क्रेटर से बनी हुई होती है. जैसे कि महाराष्ट्र में बुडलाना जिले में स्थित ‘लोनार झील’ क्रेटर झील है.
- लैगून झील–
किसी समुद्र, नदी या महासागर के किनारे अवरोध द्वारा अलग होकर इस तरह की झील का निर्माण होता है. उड़ीसा की ‘चिल्का झील’ भारत की सबसे बड़ी लैगून झील है.
अन्य लैगून झीले– पुलीकट झील (आंध्रप्रदेश और तमिलनाडु में), अष्टमुंडी झील (केरल), कोलेरू झील ( आंध्रप्रदेश), सांभर झील (राजस्थान की खारे पानी की झील)
- हिमानी झील–
ये झीले हिमानी से बनती है. कुमाऊ हिमालय क्षेत्र की अधिकांश झीले हिमानी झीले है. जैसे- भीमताल, सातताल, सातताल, खुरपाताल, राकसताल झीले.
- भूस्खलन से निर्मित झील –
पर्वतीय ढालों से शिलाखंड गिरकर नदियों का रास्ता रोक देते है. और इस प्रकार नामक झील का निर्माण इसी तरह से हुआ है.
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भारत की प्रमुख झीले
- वूलर झील–
झेलम नदी सर्पिल आकार में चलती है. इसी कारण से वूलर झील बनी है. ये गोखुर झील है. यह झील जम्मूकश्मीर के बन्दीपुर जिले में स्थित है. यह भारत की मीठे पानी की सबसे बड़ी झीलों में से एक है. इसका विस्तार 30 से 260 किलोमीटर के क्षेत्र में है. वूलर झील का प्राचीन नाम ‘महापद्मसर’ है.
- डल झील –
डल झील जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर शहर में स्थित है.
- कोलेरू झील –
यह आंध्रप्रदेश में स्थित भारत की सबसे बड़ी झील है. कोलेरू कृष्णा और गोदावरी नदी के डेल्टा के बीच स्थित है. इस झील को साल 2002 में रामसर कन्वेंशन के तहत अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की आर्द्र्भूमि घोषित किया गया था.
- सांभर झील –
राजस्थान में स्थित यह झील सबसे बड़ी अंतर्देशीय खारे पानी की झील है. सांभर झील से बड़ी मात्रा में नमक बनाया जाता है.
- लोनार झील –
यह महाराष्ट्र में स्थित है. इसका निर्माण उल्कापिंड के पृथ्वी से टकराने से हुआ था.
- पुलीकट झील –
यह लैगून झील है. जो भारत की दूसरी सबसे बड़ी खारे पानी की झील है. श्रीहरिकोटा का बैरियर द्वीप इस झील को बंगाल की खाड़ी से अलग करता है. यह आंध्रप्रदेश में स्थित है.
- लोकटक झील –
यह मणिपुर राज्य में स्थित उत्तर-पूर्व की सबसे बड़ी मीठे पानी की झील है. इस झील में ‘दुनिया का एक मात्र तैरता हुआ राष्ट्रीय उद्यान है’ ( केइबुल लाम्जाओ). लुप्तप्राय मणिपुरी ब्रो- ऐंटीलाई हिरण यही पाया जाता है. रामसर कन्वेंशन के तहत यह स्थल अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की आर्द्र्भूमि के तौर पर नामांकित है.
- सास्थमकोट्टा झील–
यह केरल की सबसे बड़ी मीठे पानी की झील है.
- वेम्व्नाद झील –
यह भारत की सबसे लम्बी और केरल की सबसे बड़ी झील है. प्रसिद्ध ‘नेहरु बोट रेस’ इसी झील में आयोजित की जाती है.
10.चिल्का झील –
यह भारत में सबसे बड़ा तटीय लैगून और विश्व का दूसरा सबसे बड़ा तटीय लैगून है. यह खारे पानी की लैगून झील है, जो उड़ीसा में स्थित है.
- भीमताल झील–
यह झील कुमाऊं क्षेत्र की सबसे बड़ी झील है. जो उत्तराखंड राज्य में स्थित है. कुमाऊं को भारत का झील जिला भी कहा जाता है. अंग्रेजी के अक्षर C के आकार की यह झील पर्याप्त महत्त्व की झील है.
- पेरियार झील –
यह कृत्रिम झील है. जो केरल राज्य में स्थित है. यह झील मुल्लापेरियार नदी के बाँध पर स्थित है. यहाँ प्रसिद्ध बाघ और हाथी अभ्यारण्य है.
- अष्टमुडी झील –
यह झील केरल के कोल्लम जिले में अवस्थित है. यह एक लैगून झील है. रामसर कन्वेंशन के तहत इस झील को अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व के आर्द्र्भूमि के रूप में चिन्हित किया गया है.
इस प्रकार हम देखते है कि भारत में विभिन्न प्रकार की कृत्रिम और प्राकृतिक झीले है. झीलों की वजह से वातावरण सुंदर तो प्रतीत होता ही है. साथ ही साथ इनसे नमक प्राप्त होता है. तथा झीले जैवविविधता के प्राकृतिक स्थल भी होती है.